Клише участи роман Часть 2 Глава 9

Синицын Василич
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      И  все-таки…  Что  он  хотел  бы  сейчас  вернуть  или  во  что  вернуться?  Многие  годы  своей  жизни  он  вообще не  помнит,  и  мог  бы  ими  пожертвовать. Сейчас  это  легко. Вся  беда  в  том,  что  твоя  жизнь  принадлежит  только  тебе. Не  в  смысле,  что  ты  никому  не  должен,  а  в  смысле  ее  абсолютной  суверенности  и  непознаваемости  для  других. Кто-то  скажет: «Я  люблю  тебя»  -  и  ты  никогда  не  будешь  знать,  что  это  означает  для  того,  кто  это  сказал. Кто-то  скажет: «Я  жил  в  те  годы  в  …»  -  и  что? Разве  это  будет  тот  же  самый  город,  что  и  для  всех?   Но ты  говоришь  банальности. Ну,  и  что?  Блаженны  те,  кто  говорит  банальности. Блажен  тот,  кто хотя  бы  перед  смертью  осознает  великую  банальность  бытия  -  что не  только  ты  сам,  но  и  твоя  жизнь  была  уникальна. Она  совместима  только  с  тобой,  и  ни  с  кем  больше. И  как  же  легко  ею  распоряжается  всякая  сволочь!  Как  легко  тебе  представляется  возможность  сгореть  заживо  или  задохнуться  в  задраенном  отсеке, оправдывая  это  великими  государственными  целями;  как  убедительно  тебе  внушают  необходимость  добровольного  стремления,  в  сущности,  к  самоубийству. Убеленная  сединами, умудренная  жизненным  опытом,  сволочь. Помнишь  того  флотского  начальника,  который  лежал  на  соседней  койке  в  реанимации  с  инфарктом?  Как  он  упрашивал  дежурного  врача  сделать  все  возможное  и  невозможное, хватал  врача  за  халат, намекал…  «Я  вам  еще  пригожусь,  в  долгу  не  останусь».  Они  никогда  не  остаются  в  долгу…  даже  после  того,  как  послали  чужих  сыновей в  Афган.
    Вот  когда  был  нужен  Жак  Тибо! Но  во  всей  стране  не  нашлось. Ни  одного!  Или  был, но  самолет  тоже  сбили, еще  на  взлете?  Свои  сбили.
    Ладно. В  то  время  ты  уже  был  вне  игры.  Продолжай вспоминать, перебирать свои  четки -   единственное, что  тебе  доступно…

    …  После  общей  квартиры  на  Чайковской  их  семья  переехала  в  коммунальную  на  Приморском  проспекте. Отец  получил  ее  от  штаба  ленинградского  военного  округа,  где  служил тогда  старшим  офицером. Новое  жилье не  понравилось  и  мало  сохранилось  в  памяти…  Первый  этаж… две  смежные  комнаты  занимали  соседи -  супружеская  пара,  полковник  химических  войск  и  его  жена, пустая,  расфуфыренная  бабенка. Жак    невзлюбил  ее  поле  того,  как  однажды  придя  из  школы, когда  никого  из  своих еще  не  было  дома, едва  переступив  порог, был  схвачен  за  рукав  пальто. Не  дав  ему  раздеться, соседка  поволокла  его  по  коридору  к  какому-то  масляному  пятну  на  обоях  и  стала  отчитывать  за  это  пятно,  к происхождению  которого  он  не  имел  никакого  отношения. Она  была  в  шелковом,  цветастом  халате, в  бигуди, жирное  лицо  лоснилось  от  крема,  как  то  самое  пятно  на  стене.  Своих  детей  у  них  не  было,  был  «Москвич-402»,  и  как-то  раз  они  взяли  Жака  с  собой  на  взморье, покупаться. На  пляже  муж  учил  ее  водить  машину -  запускать  мотор, трогаться  с  места. Она  сидела  за  рулем  в  мокром  купальнике  и  голой,  пухлой  ногой  с  педикюром  пыталась  дотянуться  до  круглой  педали   стартера, следуя  указаниям  мужа. Ей  очень  хотелось  научиться,  поэтому  исполняла  все  старательно,  сосредоточенно,  сердясь  на  неуместные  ласки, проявляемые  неожиданно  распалившимся  супругом.
    А  принадлежавшие  им  комнаты  были  изолированными  -  в  разных  концах  коридора  и  по  разные  стороны. Родители  занимали угловую,  выходившую окнами  на  Приморский  проспект, за  которым стелился широкий  травянистый  берег  Невки;  от  шоссе дом  отделял  палисадник  с  чугунной  оградой.  «Угловая  комната»  -  это  терминология  обмена,  которым  потом  занималась  мама, расклеивая  объявления на  водосточных  трубах. Из  комнаты  соседей  в  палисадник  выходил  просторный, открытый  балкон.
    На  этой  квартире  их  навестили  Лукьяновы. Дядя  Саша  был  после  инсульта,  волочил  ногу  -  «рука  просит,  нога  косит»,  и  речь  давалась  ему  с  трудом,  а  ведь  он  был  еще  совсем  не  старым, чуть  больше  сорока.  Стол  накрыли  в  родительской  комнате и  засиделись  допоздна,  вспоминая  Гримму.  Они  с  сестрой  уже  укладывались  спать,  когда  к  ним  в  комнату  вошел  дядя  Саша,  в   таком  непривычном, неестественном  для  него  штатском  костюме:  коричневом  в  рубчик,  с  манжетами  на  брюках -  поношенным  и  уже  не  модным. Зашел  пожелать  спокойной  ночи  и,  присев  на  стул, басил  что-то  смешное.  Было  заметно,  что  он  выпил  и  не  торопится  вернуться  обратно  к  столу,  потом  как-то  неожиданно  замолчал  и  вдруг  заплакал,  и  вышел.  Это  было  так  странно  -  увидеть  огромного  взрослого  мужчину,  хорошо  знакомого  им,   плачущим,  и  так  жалко  было  дядю  Сашу.
    Мало  запомнился  и  двор. Чахлой  мартовской  весною, когда  еще  не  сошел  зачерствевший,  покрытый  за  зиму  сажей,  снег,  но  солнце  уже  стало  слепяще -  ярким,  мальчишки, вооружившись  лупами,  выжигали  что  попало  и  на  чем  попало,  да  хоть  на  рейках  скамеек,  перемещая  по  деревяшке  черную, дымящуюся  точку. Еще  из  забав  того  времени-   подбрасывание  «дымовух»  в  парадные:  старую,  использованную  фотопленку  заворачивали  в  бумагу  и  поджигали  -  дым  валил,  как  из  трубы. Кидали  карбид  в  лужи…Самым  постыдным  ругательством  было,  неизвестно  что  обозначавшее,   слово  - «беременность»,  и  ведь  не  маленькие  уже  были  -  второй  класс,  по  восемь-девять  лет.
    Еще  в  ту  пору  у  них  появился  Рэм  -  щенок  спаниеля  кофейно-пегой  масти,  они  выносили  его  через  шоссе   на  берег,  чтоб  он  повалялся  в  траве  на  лугу.
    А  потом  мамины  старания  в  поисках  обмена  увенчались  успехом,  и  они  переехали.  Соседи  были  вне  себя  -  им  предстояло  теперь  жить  с  семьей  слесаря  с  Балтийского  завода,  а  эта  «мелочь  пузатая»,  надо  же,   переселяется  в  отдельную  квартиру!
    Новое  местожительство  было  в  том  же  районе, неподалеку  -  десять  минут  езды  на  грузовике. В  пути  хлынул  дождь,  и  все  в  открытом  кузове  моментально  стало  мокрым: все  их  узлы, мебель… Ничего  не  предвещало  дождя  и  вещи  не  укрывали,  и  когда  все  они  вымокли  до  нитки,  в  кузове  стало  безумно  весело.  Он  помнит  сестру,  прижимающую  к  груди  мокрого,  испуганного  Рэма,  с  трудом  удерживая  равновесие  в  трясущейся  машине,  и  хохочущую,  как  ненормальная. Грузовик  въехал  в  зеленый  двор,  тормознул  у  крыльца,  и   с  этого  толчка  начался  отсчет  их  новой  жизни.
    Это  была  самая  тихая  и  зеленая  улица  в  городе,  с  веселым  названием  -  Дибуновская. Таких  домов,  где  поселились  они,  было  много  в  этом  районе  Новой  деревни,  ближе  к  Серафимовскому  кладбищу  -  двух-  и  трехэтажные  дома- коттеджи. Их  строили  после  войны  военнопленные  немцы. Их  дом  был  трехэтажным  с  серыми,  словно  отсыревшими, стенами   и  каменной  террасой  наподобие  эстрады  со  стороны  двора  с  двумя  лестничными  маршами  по  бокам  к  каждой  парадной.  Семь  или  восемь  ступенек,  на  которых  потом  обнаружат  мертвую  бабушку.  Она  приехала  их  навестить  и  не  дошла  до  парадной  -  упала  замертво,  поднимаясь  по  лестнице, при  падении   разбив  голову  о  камни,  и  эта  рана  на  затылке  потом  не  будет  давать  маме  покоя  -  А  вдруг  ее  убили?   Никто  ведь  не  видел,  как  все  произошло. Днем,  все  на  работе…   Но  это  случится  еще  не  скоро, через  три  года  после  смерти  деда,  а  пока  у  них  впереди  десять  лет  безгорестной  жизни  в  этом  доме.
    Их   квартира  опять под  номером  один,  как  на  Приморском,  и  тоже  «угловая»,  бель-этаж. Внизу  под  ними  старая  прачечная  для  жильцов, которой  еще  изредка  пользовались  -  мрачный  полуподвал  с  громадными  деревянными,  желтыми   лоханями, вызывавшими  почему-то  ассоциации  с эксплуатацией  женского  ручного  труда  где-нибудь  в  Англии  времен  Диккенса.  В  таком  же  полуподвале  с  другой  стороны  дома  находилась  котельная,  и  проход  за  домом  там  всегда  загораживала  куча  угля.
    Кухонное  окно  выходило  во  двор, и когда  шел  дождь,  всегда  была  слышна  барабанная  дробь  дождевых  капель  о  ржавый  железный  навес  над  входом  в  прачечную.  На  кухне  водились  мыши. Старый  паркетный  пол  подгнил  и  местами  зияли  щели.  Для  борьбы  с  грызунами  использовали  простенькие  капканы  на  дощечке,  и  по  утрам,  содрогаясь  от  отвращения, выбрасывали    эти  мышеловки  вместе  с  передавленными  квадратной  рамой  тельцами, издали  похожими,  если  не  присматриваться,  на  чей-то  помет.
    Совмещенный  санузел  -  незнакомое  прежде  понятие.  И  газовая  колонка  над  ванной, где  в  овальной  амбразуре  с  гудением  вспыхивало  от  зажженной  спички  геометрически  безукоризненное,  голубое  каре.
    Вскоре  после  переезда  пришлось  делать  ремонт, силами  дяди  Юры,  который  нередко  подрабатывал  таким  образом,  «халтурил»,  как  он  выражался.  Он  приходил  в  роскошном  по  тем  временам,  особенно  для  него,   голубом  свитере  толстой  вязки,  импортном,  и переодевался  в  старые  отцовские  галифе  и  форменную  рубашку «хаки». Всегда  приносил  с  собой  «чекушку»  водки,  которую  выпивал  или   до  работы,  или  после. Иногда  всерьез  предлагал  налить  и  ему: «Давай,  Чимша,  пока  матки  нет». Поддав,  напевал  пошлые  блатные  песенки « Я  женщин  обожал  уже  с  пеленок.  А  ну-ка,  Жора,  подержи  мой  макинтош».  Курил  он  только  сигареты  и  только  с  фильтром,  делая  едва  заметные, легкие   затяжки.  Эта  изящная  манера  курить  была  далеко  не  единственной  его  благородной  чертой, еще  он  был  аристократически  привередлив  в  еде,  брезглив   при  сборе  грибов  -  малейшее  подозрение  на   червоточину.   и  прекрасный  боровик  выбрасывался  из  корзины. Бабушка  рассказывала,  как  ребенком  его  всегда  ставили   впереди  крестного  хода  нести  икону. В  молодости  дядя  Юра  занимался  буерным  спортом…   Помнишь тот  венгерский  фильм,  где  «он  и  она»,  уютно  съежившись   под  анораками,  прильнув  друг  к  другу  в  тесной  гондоле   буера,  скользят  кружа  под  парусом  по  темному  льду  Балатона  совершенно  одни  в  ночи,  в  снегопаде,  в  прожекторном  свете  луны.  Пожилого  любовника  играл  Иван  Дарваш - сильный, нежный,  ироничный. Тогда, это   безмолвное  скольжение  под   парусом,  и  сухой,  летящий  в  никуда,  снег,  и  абсолютное  одиночество  двух  -  казалось  Жаку  почти  непременным  условием  любви  между  мужчиной  и  женщиной, тем обрамлением любви,  к  которому надо  было  стремиться, преодолевая  все.   Глядя   на  дядю  Юру,  стоящего  на  стремянке  в  рубашке  «хаки» заляпанной  красками  и  белилами и  орудовавшего  кистью  под  потолком, он  не  понимал, как  все  могло  закончится  вот  так  - штукатурством.  Подростком, заболев  гепатитом  и  попав  в  Боткинские  бараки, дядя  Юра  вскрыл  себе  вены.  Желтуха  и  несчастная  любовь…  Так  может  и  у  него  это  из  генов?  Закодированный  в  хромосомах  приказ  на  самоуничтожение,  как  это  предусмотрено  у  какого-нибудь  секретного  оружия, чтоб  никто  не  узнал,  как  оно  устроено  в  случае  завладения  им. Да,  потом  уж  точно  никто  не  узнает.      
    Была  заколочена  и  зашита  досками  дверь,  ведущая  из  коридора  в  меньшую  из  двух  комнату  и  теперь  попасть  в  нее  можно  было  только  из  смежной  с  ней  большой  комнаты, обклеенной  бордовыми  обоями,  на  мамин  вкус. В  углу  у  окна  там  стояло  высокое,  под  потолок,  трюмо  из  орехового  дерева  -  единственная  привезенная  из  Германии  мебель. Зеркало  было  очень  чистым,  и  отражение   в  нем  отличалось  какой-то  особенной  ясностью,  прозрачностью. Ничего  не  портя  и  не  искажая  оно  все  же  каким-то  образом  художественно  преображало  мир, показывая  его  более  спокойным  и  мягким. Иногда,  разглядывая  себя  в  этом  зеркале, Жак  пытался  представить  себя,  каким  он  станет  через  двадцать,  тридцать  лет.  Ха-ха…
    Перед  окном,  мешая  к  нему  подойти, стоял  обеденный,  круглый  стол, всегда  накрытый  темной,  бахромчатой  скатертью  и  на  ней  в  центре  фарфоровая  пепельница  в  виде  осоловелого, лопоухого  барбоса, сидящего  в  развязной  позе  с  бокалом  вина  в  лапе.  Диан  у  стены…  Когда  Жак  болел, он  перебирался  на  него  из  своей  малой  комнаты, чтоб  смотреть  телевизор  -  «Рекорд»  с  линзой. Однажды  на  линзу  попробовали  наклеить  продававшуюся  тогда  специальную  пленку  с  тремя  горизонтальными  полосами -  зеленой,  красной  и  голубой,  чтоб  получать  подобие  цветного  изображения… голь  на  выдумки  хитра.
    Ставшую  лишней  дверную  нишу  в  маленькой  комнате  обшили  пластиком  под  дерево, навесили  полки  -  и  вышел  прекрасный  книжный  шкаф.  На  стене  рядом  повесили  ту  самую  картину  с  ундинами  на  барже,  за  нею  Жак  прятал  от  матери  пачки  своих  первых  сигарет:  «Балканы», «Джебел», «Трезор»…  Еще  одна  картина,  приобретенная  в  книжном  магазине, украшала  простенок  в  большой  комнате  над  изголовьем  дивана  -  залитая  солнцем  таверна,  где  бородатый  Дон,  подпоясанный  красным  кушаком, одной  рукой  обнимает  стан  черноокой,  умопомрачительной   испанки,  другой  подливает  густой  струей  вино  из  плетеной  бутыли  в  подставленный  ею  бокал,  который  она  обхватила  белыми,  нежными  пальцами.  Был  такой  фотографический  фокус  -  на  открытке  абсолютно  черный  силуэт,  отдаленно  напоминающий  женскую  голову,  и  в  центре  три  маленькие  белые  точки. В  течение  трех  минут  следовало  неотрывно,  пристально,  не  мигая,  смотреть  на  эти  точки,  а  потом  закрыть  глаза,  и  тогда  в  голове  возникал  изумительный  образ  прекрасной  дамы,  истинный. Женщина  на  картине была  точь  в  точь  этот  фотомираж. Может  быть,  та  картина  на  испанскую  тему  побудила  его  прочитать  «Кровь  и  песок»  во  время  очередной  простуды. От  книги  осталось  ощущение  чужого, знойного  города,  но  ни  сюжета,  ни  героев  сейчас  он  не  помнил. Это  было  его  первое  знакомство  с  совершенно   иной,  не  школьной,  литературой. Потом  были  прочитан,  случайно  попавшийся  под  руку,  роман  «Креветки»,  и  тоже  бесстрастно,  а  лишь  с  любопытством, подогреваемым  какой-то  странной  гордыней,  с  которой  он  каждый  вечер  возвращался  к  чтению  этого  номера  «Роман-газеты», привычно  устраиваясь  на  диване  под  уютный  свет  недавно  купленного  торшера. Желтый  и  розовый  колпаки  торшера  из перекрещивающихся  между  собой  пластиковых  лент  осели  в  памяти  прочней,  чем  бамбуковые  хижины  на  затерянных  островах  тропического  океана.  «Зима  тревоги  нашей»  -    из той  же   тогдашней  серии,  где  опять  происходило  соприкосновение  с  абсолютно  чужеродной,  и  в  тоже  время  абсолютно  реальной жизнью,  которой,  как  он  догадывался, ему  самому  вряд  ли  удастся  жить  и  она  так  и  останется  для  него  лищь  предметом  для  подражания  в  каких-то  деталях. Единственное,  что  он  может  вспомнить  из  «Зимы»  сейчас  -  это  совершенно  проходную  фразу : «…  юнцы  потягивали  из  соломинки  коктейль  -  залог  будущих  прыщей». Заманчивое  капиталистическое  слово  -  коктейль…  Вскоре  в  их  районе  будет  построен  двухэтажный  продовольственный  магазин  «из  стекла  и  бетона», сразу  же  прозванный  аквариумом,  где  на  втором  этаже  будет  открыта  мороженица,  там  впервые  в  новейшей  истории  торговали  молочным  коктейлем,  взбивая  молочно-мороженую  смесь  в алюминиевых  кубках  на  мощных,  громоздких  агрегатах.  В  первые  дни  после  открытия  заведение  пользовалось  бешеным  успехом  -  всегда  очередь  и  именно  за  коктейлем.  Сам  он не  любил,  когда  его  посылали  за  продуктами  в  этот  магазин,  ему  не  нравился  запах, создаваемый  новыми  строительными  материалами, плитками  из  пластика, резиновыми  уплотнителями  на  окнах… Еще  он  не  любил  «аквариум»  за  то,  что  ему  приходилось ходить  сюда  сдавать  бутылки  -  в  кирпичную  пристройку  ,  где  за  квадратным  окошком  сидела  толстая,  усатая  еврейка  лет  шестидесяти,  с  накинутом  на  синий,  сатиновый  халат  оренбургским  платком  и  в  рваных  шерстяных  перчатках.  Ему  было  жалко  эту  женщину,  которую,  видимо,  нужда  заставляла  сидеть  в  холодном,  сыром  и  плохо  освещенном  каземате,  заставленном   тарой,  среди  звяканья  пустых  бутылок,  в  препираниях  с  грузчиками  и  алкашами. Свою  работу  она  выполняла   прилежно  и  качественно, безжалостно  отказывая  в  приеме  бутылок  даже  с  незначительными  сколами  на  горлышке  или   не  полностью  очищенных  от  фольги  бутылок  из-под  шампанского. Выстроив  на  своем  столике  по  ранжиру   бутылки,  прошедшие  ее  контроль, она  быстро,  в  уме  подсчитывала  их  стоимость,  никогда  не  ошибаясь  при  этом. Иногда  рядом  с  ней  находилась  девочка  лет  десяти  -  наверное,  внучка,  помогавшая  складывать  бутылки  в  ящики.
    Новая  Деревня… Здесь  деревья  были  выше  домов,  а  не  наоборот,  как  в  других  районах  города. Здесь  было  свободно  и  солнцу, и  дождю,  и ветру; и  была  река,  названия  которой  он  не  хотел  помнить. Свободная  от  гранита  она  текла  мимо  островов,  а  вдоль  тянулся  прекрасный  Приморский  проспект, бравший  начало  от  сталинских  домов  возле  Ушаковского  моста. Здесь,  отпросившись  с  уроков, они  приветствовали  Кастро; кортеж  из  двух  открытых  машин  -  в  первой  ехал  Фидель,  молодой, сияющий  от  радости, в  бежевом  френче,  вторая  была  забита  репортерами, избыточно  увешенными  фотокамерами  с  лампами  -  вспышками. Вольно  развалясь  на  просторных  сидениях  ЗИМа,  они  курили  сигары, высокомерно  взирая  на  ликующую  толпу… Сейчас  он  подумал,  что  это  был  единственный  раз,  когда  он  своими  глазами   видел  живого  политического  лидера  вообще, а  также,  как  и  любую  другую  знаменитость. Жизнь  не  сводила  его  со  всеобщими  кумирами…Там  же  в  начале  проспекта  был  дом  призрения  для  ветеранов  партии,  где  как-то  довелось  выступать  их  школьному  хору.  Трости,  плеши,  слуховые  аппараты…  «  и  в  грозной  дали,  не  видно  земли,  ушли  далеко  корабли…»,  и  он,  стоя  в  верхнем  ряду  на  лавке, не  сводил  глаз  с  шатенки-старшеклассницы,  с  ее  белой,  полненькой  шейки  над  кружевным,  форменным  воротничком.  …25  отделение  милиции, куда  он не  имел  приводов…   Аптека  с классическими  матовыми  фонарями  у  входа; «тройчатка». «пятирчатка»  от  головной  боли  для  мамы. Сколько  раз  приходилось  бегать…  Приземистое, желтое  здание  автобазы.  Тихий,  молчаливый  троечник  Вовка  Весников  жил  здесь  в  мансарде  под  крышей.  Он  пригласил  Жака  посмотреть  его  коллекцию  почтовых  марок.  До  этого  Жак  полагал,  что  под  крышами  живут  только  в  сказках,  а  никак  не  начальник  автоколонны  с  семьей.  …  Пожарная  часть -  краткое  членство  в  ЮДПД, фирменный  значок  краше  ордена,  беготня  с  брандспойтами  на  городских  соревнованиях,  катанье  на  настоящей  пожарной  машине  в  мини-варианте  на  шасси  ГАЗ -69.  А  дальше  мрачный, уродливый  дом, откуда  с  верхнего  этажа  выбросили  Андрея  Ефимова,  вскоре  после  его  возвращения  из  армии, из  ВДВ. Андрюха  был  самым  сильным  в  классе. Угрюмый,  не  злой,  замкнутый  в  себе  парень,  не  «качок»,  не  самбист, но  шутя  справлялся  с любым,  с  двумя,  тремя…Так  что  Жак  не  первый  и  не  единственный  из  школы, который  вот  таким  образом  покончил  все  счеты. Оказывается  всегда  можно  найти  ассоциацию.  Интересно,  загробный  мир  столь  же  тесен?
    Дальше  по  берегу,  за  небольшим  пустырем,  стояло  четыре  деревянных,  двухэтажных  дома,  у  самой  воды.  В  одном  из  них,  в  трехкомнатной  квартире,  обставленной  мебелью  из  карельской  березы,  жила  семья  капитана  первого  ранга  Забелло,  чьим  младшим  сыном  был  Джон. Но  о  нем  он   не  будет  вспоминать  в  этот  раз.  Он  же  не  просто  ворошит  прошлое,  он  хочет  напоследок   вспомнить  все  то, что  осталось,  сохранилось  в  нем  из  того,  что  ничего  не  значило  для  других, но  почему-то  крепко  засело    нем.
    Бани  и  булочная  были  последними  домами  по  эту  сторону  Приморского,  дальше  берег  был  свободен  от  построек -  только  трава,  ни  кустов,  ни  деревьев  вплоть  до  Елагина  моста,  на  перилах  которого,  как  на  теплоходе,  висели  спасательные  круги. А  вот  по  другую  сторону,  напротив  бани, стояла  их  школа  и  рядом  с  ней  прежний  их  дом,  и  дальше  за  пустырем  - помпезное  здание  «ядерного»  института, считавшегося  причиной  телевизионных  помех  в  окрестных  домах;  за  ним  в  глубине  небольшого  сада  образчик  деревянной  русской  усадьбы  с  белыми  колоннами  и  крыльцом,  и  дальше, через  переулок,  за  мощной  и  высокой  каменной  стеной  возвышался  буддистский  храм,  сам  тоже сложенный   из  камня,  как  стена, с  золотыми  оленями  и  солнцем  над  воротами.  Сосем  непохожий  на  дацан.  Дацан  должен  быть  деревянным,  устремленным  не  в  небо,  а  вширь. Он  не  сразу  бросается  в  глаза  даже  посреди  плоской  забайкальской  степи. Внутри  все  красно-золотое.  Красные  столбы,  шары,  коврики…  и  сотни  почти  одинаковых  статуэток  Будды  за  стеклом,  как  в  музее. Под  стеклом  растет  во  дворе  и  священное  дерево,  под  ветвями  его  пра,  пра,  пра…родственника  сидел  сам  Будда.  В  тот  день  ламы  отсутствовали,  и  дацан  ему  показывал  сторож -  старый  бурят  с  иссохшим  и  испитым  до  сходства  с  корневищем  жень-шеня  лицом.  Напоследок, соблюдая  туристический  ритуал, Жак  покрутил  молитвенные  барабаны,  как  обычно  ничего  не  прося  у  высших  сил.  На  обратном  пути   в  Улан-Удэ  чуть  было  не  попали  в  песчаную  бурю.  Воздух вдали  над  степью  сделался  темно-красным, как  на  Марсе,  и  стало  душно  в  салоне  минивэна.  Но  буря  прошла  стороной,  на  северо-запад.
    Дальше  Елагина  моста  он  забрел  только  один  раз, смотреть  там  было  не  на  что  -  стоянки  катеров  и  болотистые  пустыри  до  Ольгино.
    Самым  удаленным  от  дома  местом,  докуда  они  добирались  в  своих  детских  путешествиях, была  городская  свалка.  В  те  времена   увлекались  самодельными  детекторными  приемниками  и  за  радиодеталями  ходили  на  свалку.  Путь  лежал  через  Серафимовском  кладбище,  мимо  каких-то  огородов  с  редиской  за  Торфяной  улицей. Сама  свалка  напоминала  шлаковую  пустыню,  только  розового  цвета,   местами  дымящуюся,  с  одинокими  фигурками  «сталкеров»  на  ней.  Непросто  было  найти  что-нибудь  путное,  но  часа  через  два  хождения  по  громадной  территории  каждый  все-таки  обзаводился  тем  или  иным  сокровищем  на  свой  вкус,  например,  дивными  пластмассовыми  коробками  непонятного  назначения (позже  выяснится,  что  это футляры  от  аппаратов  Рива-Роччи). Возвращались  под  вечер,  когда  солнце  уже  опускалось,  но  все  рано  было  еще  светло  и  жарко. Во  дворе  забивали  «козла»,  смачно  дымя  дешевыми папиросами… «тот,  кто  курит  Северок,  не  получит  трипперок», мужики  помоложе  отжимали  штангу  в  углу  площадки, на  балконе  третьего  этажа  Наташка  Ананьева  -  дочь  основателя  кафедры  психологии  в  университете, читала  книгу,  уронив  черную  косу  на  раскрытые  страницы, Валерка  Муравьев  помогал  отцу  мыть  своего  «Москвича». А  мы  со  свалки,  перепачканные  ее  грязной,  пахучей  кровью,  никто  нас  не  ждет  и  никому  мы  не  нужны,  кроме  своих  десятилетних  сверстников.
    Все  дворы  Новой  Деревни  были  очень  уютными,  но  их  особенно, он  был  как-то  особенно  живописен. Возле  окна  их  угловой  комнаты  росла  старая,  высокая  ива  с  оплывшим  стволом  и  густыми  ветвями. Он  так  привык  к  ней,  ежедневно  проходя мимо  в  течение  стольких  лет,  что  не  сразу  понял,  что  же  произошло,  когда  возвращаясь  из  института  наткнулся  на  огромные, распиленные  чурки  в  хламе  веток  с  распустившейся  майской  листвой.  Забрызганная  красноватыми,  влажными  опилками,  земля…Намучались  пильщики  с  ней.  Он  вспомнил,  как  они  приехали из  Луги, с  дачи,  в  последних  числах  августа, поздним  вечером  добрались  с  Варшавского вокзала после  четырехчасовой,  утомительной  дороги.  Их  не  было  дома  три  месяца,  и  квартира  была  пропитана  нежилым  запахом, холодная  и  чужая,  и  ничто  не  радовало  в ней,  и  не  хотелось  думать,  что  лето  кончилось  и  надо  собираться  в  школу…  и  ужин  на  кухне,  впопыхах, чай  с  холодными,  дорожными  бутербродами,  и  ко  всему  надо  привыкать  заново. И  только когда  он  открыл  форточку  у  себя  в  комнате  и  знакомо  зашумело  невидимыми  в  темноте  листьями,  ему  стало  спокойнее  и  понятнее,  что  вернулись  не  куда-нибудь,  а  к  себе  домой…
    Зов  давно  пережитых  ощущений  не  давал   покоя,  но  он  ничего  не  имел  против.  В  его  понимании  только  из  этих  обрывочных  эмоций  и  удержанных  памятью  зрительных  картинок, главным  образом  и  состоит  теперь  его  жизнь. И  не  из  чего  другого. А,  может,  так  было  всегда?  И  он  не  мог  ни  с  кем  поделиться  этим;  во-первых - это  технически  невозможно,  во-вторых в  нем  бы  еще  раньше  распознали  идиота.
…  Дибуновская  улица  заканчивалась  громадным  пустырем,  на  котором  позже  возведут  кинотеатр  «Юность».  По  своему  значению  для  жизни  района   событие  было  сравнимым  с  прорубленным  Петром   окном  в  Европу.  Он  помнит  все  фильмы,  начиная  с  самых  первых:  «Смерть  в  седле», «Люси»  и  американского  «Рапсодия». Он любил особый,  неповторимый  запах  просторного  кинозала,  предвосхищавший  уединенное  переживание  и  всегда  желанный  уход  от  реального  мира  под  медленное  угасание  светильников,  скрытых  высоко  под  стальным  потолком,  поделенным  на  квадраты.  Кинотеатр  был  и  местом  первых  любовных  свиданий; о  нем  рассказывали  жуткие  истории  про  то,  как  убивали  зрителей  в  зале  -  маньяк  колол  спицей  прямо  в  сердце  жертвы,  сидящей  впереди.  Идти  на  последний  сеанс  всегда  было  связано  с  риском  драки  с  местной  шпаной,  вечно  ошивавшейся  под  козырьком  входа  у  освещенных  афиш. И  надо  было  заставить  себя   спокойно  докурить  сигарету  у  них  на  глазах,  вспоминая,  как  в  курилке  мужского  туалета  мужик  с  переломанным  носом,  бывший  боксер,  стрельнув  сигарету,  в  благодарность  обучал  Жака  грамотно  подставлять  плечо,  прикрывая  челюсть  от  удара.  …Интересно,  узнал  бы  тебя  сейчас  вон  тот,  мордатый  и  широкоплечий,  который  однажды  вырос  перед  ним  и  Славкой  Ковелем  на  улице  и  стал  трясти  с  них  треху. Но  они  уже  вышли  из  того  возраста,  чтоб  с  них  можно  было  просто  так  трясти;  у  Славки  у  самого  кулаки  были  будь  здоров,  он  всегда  побеждал  Жака,  когда  они  возились, так  что  отдавать  деньги  они  не  собирались,  хотя  знали,  что  парень  этот  та  еще  оторва,  и  шайку  его  знали  с  «Торфяной»,  где  ножи  пускали  в  ход  не  задумываясь. Но  их  готовность  к  драке  была  неестественной,  вынужденной, дисциплинированно  подчиненной  вопросу  чести,  а  для  того  обычным,  как  уроки, делом, он  и  не  думал  ни  о  чем  таком:  « Я  вижу  вы  ребята  здоровые. Ну, от****ите  вы  меня  сейчас…  а  потом?  Ну,  что  вам  хочется  каждый  день  с  разбитой  мордой  ходить?». Славка  усмехнулся  и  вытащил  кошелек. «Это  тебе  за  наглость» -  сказал  он,  изображая  из  себя  короля, который  одаривает  своего  шута,  позабавившего  его,  и  потом,  когда  они  дошли  до  Славкиного  дома,  он  процедит  сквозь  зубы:  «Как  он  нас  с  тобой  сделал,  а?  Дерьмо  мы  с  тобой».  Так  что  нет,  он  не  выбросит  недокуренную  сигарету,  чтоб  скорее  войти  вовнутрь,  где  безопасней,  он  не  будет  спешить,  иначе  ему  вообще  лучше  не  смотреть   сейчас  «Лисы  Аляски»,  где  настоящие  мужчины  -  военные  летчики  на  базе  среди  льда  и  снега  сидят  в  баре,  и  один  из  них  исполнит  потрясающее  соло  на  трубе,  и  красивая  женщина  изменит  мужу-бизнесмену  с  пилотом  бомбардировщика,  и  когда  тот  будет  лететь  над  ледяной  пустыней  Арктики  в  высотном, зашнурованном  костюме  и  в  шлемофоне  с  отпечатанным  на  нем  клеймом  -  заостренной  лисьей  мордой,   в  это  время  тот  -  муж,  набросится  на  свою  жену,  пытаясь  изнасиловать, будет  рвать  на  ней  одежду,  задирать  юбку, и  ноги,  обтянутые  черными  чулками  с  застежками  пояса  на  прекрасных  бедрах,  крупным  планом  заполнят  весь  экран…    Вот  оно  что…  Оказывается,  тебе  не  случайно  так  нравились  «Лисы  Аляски».